विज्ञान नहीं मानेगा, पर यह हैं 8 चिरंजीवी – जानिए कौन हैं वो अमर महामानव?

आठ चिरंजीवी
आठ चिरंजीवी कौन हैं

“विज्ञान नहीं मानेगा, पर यह हैं आठ चिरंजीवी…”
हिंदू धर्म में कुछ ऐसे दिव्य व्यक्ति हैं जो आज भी जीवित माने जाते हैं। इन्हें चिरंजीवी कहा जाता है, जिसका अर्थ है – अमर, जो कभी न मरे। यह विचार परामनोविज्ञान और अध्यात्म से जुड़ा है, जिसे आधुनिक विज्ञान शायद न माने, लेकिन योग और वेदों के ज्ञाता इसके पीछे छिपे रहस्यों को समझ सकते हैं।

हिंदू ग्रंथों के अनुसार, ये 8 चिरंजीवी हैं:

अश्वत्थामा बलिर्व्यासो हनूमांश्च विभीषणः।
कृपश्च परशुरामश्च सप्तैते चिरजीविनः॥
सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम्।

इस श्लोक के अनुसार यदि प्रतिदिन इन आठ चिरंजीवी व्यक्तियों का स्मरण किया जाए, तो व्यक्ति दीर्घायु होता है और अनेक बीमारियों से बचा रहता है।


🙏 आइए जानते हैं कौन हैं ये आठ चिरंजीवी?

1. 🐒 भगवान हनुमान

हनुमान जी कलियुग के सबसे जाग्रत और शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता माने जाते हैं।
सीता माता ने उन्हें आशीर्वाद दिया था कि वे अजर-अमर रहेंगे।
इसलिए उन्हें चिरयुवा और शक्ति का स्रोत माना जाता है।
वे आज भी राम नाम के प्रचारक हैं और भक्तों की रक्षा करते हैं।


2. 🗡️ अश्वत्थामा

गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र, अश्वत्थामा को भगवान शिव का अंशावतार माना जाता है।
महाभारत के युद्ध में उन्होंने कौरवों का साथ दिया था।
भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें एक भयानक श्राप दिया था –
“तुम युगों-युगों तक पृथ्वी पर भटकते रहोगे, मुक्ति के बिना।”

किंवदंती:
मध्य प्रदेश के असीरगढ़ किले में स्थित शिव मंदिर में आज भी लोग मानते हैं कि अश्वत्थामा प्रतिदिन पूजा करने आते हैं।


3. 🧙‍♂️ ऋषि मार्कण्डेय

शिवभक्त ऋषि मार्कण्डेय को महामृत्युंजय मंत्र की सिद्धि प्राप्त है।
बाल अवस्था में ही उन्होंने मृत्यु को पराजित कर अमरता पाई।
भगवान शिव ने उन्हें आशीर्वाद दिया –
“तुम मृत्यु से अजेय रहोगे और अनंत काल तक जीवित रहोगे।”


4. 👑 राजा बलि

दानवों के महान राजा बलि ने भगवान विष्णु के वामन अवतार को सब कुछ दान कर दिया था।
वामन भगवान उनकी दानशीलता से इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने राजा बलि को पाताललोक का राजा बनाया और स्वयं उनके द्वारपाल भी बन गए।

केरल में ओणम का त्योहार राजा बलि की याद में मनाया जाता है।


5. 🔥 विभीषण

लंका नरेश रावण के छोटे भाई विभीषण ने धर्म का साथ देकर श्रीराम की सेवा की।
उन्होंने लंका युद्ध में श्रीराम की मदद की और लंका के राजा बने।
वे श्रीहरि विष्णु के प्रतिनिधि के रूप में आज भी इस धरती पर जीवित हैं।


6. 📚 वेदव्यास

महान ऋषि वेदव्यास ने चारों वेदों, 18 पुराणों, महाभारत और श्रीमद्भागवत गीता की रचना की।
इन्हें कृष्ण द्वैपायन भी कहा जाता है।
इनकी दिव्य बुद्धि और लेखन क्षमता के कारण इन्हें सनातन ज्ञान का भंडार माना जाता है।


7. 🛡️ कृपाचार्य

महाभारत के महान योद्धा और शिक्षक थे कृपाचार्य।
इन्होंने कौरवों और पांडवों दोनों को शिक्षा दी।
ये भी भगवान शिव के भक्त थे और अमरता का वरदान इन्हें युद्ध की समाप्ति के बाद प्राप्त हुआ।


8. 🪓 भगवान परशुराम

भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम ने पृथ्वी को अन्याय से मुक्त करने के लिए 21 बार क्षत्रियों का संहार किया।
इन्हें अक्षय तृतीया के दिन जन्म लेने के कारण अक्षय योद्धा माना जाता है।
कहा जाता है कि वे आज भी जीवित हैं और कल्कि अवतार को दिव्य शस्त्र प्रदान करेंगे।


📿 क्या विज्ञान इन चिरंजीवियों को मानेगा?

यह प्रश्न आधुनिक युग में अक्सर उठता है कि क्या कोई अमर हो सकता है?
विज्ञान की सीमाओं में अमरता असंभव प्रतीत होती है, लेकिन हिंदू धर्म में यह आध्यात्मिक ऊर्जा, तप, सिद्धि और ईश्वर के आशीर्वाद का परिणाम मानी जाती है

जो टेलीपैथी, परामनोविज्ञान और योग सिद्धियों को मानते हैं, उनके लिए यह सत्य है।


🌟 निष्कर्ष

सनातन धर्म का यह रहस्य आज भी जिज्ञासा का विषय है।
अष्ट चिरंजीवी न केवल धर्म, बल, भक्ति और ज्ञान के प्रतीक हैं, बल्कि यह सिद्ध करते हैं कि मनुष्य यदि सच्चे मार्ग पर चले तो ईश्वर उसे अमरत्व भी दे सकता है।

जय श्रीराम। जय सनातन धर्म।


🙋‍♂️FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

Q1. अष्ट चिरंजीवी कौन-कौन हैं?

उत्तर: अश्वत्थामा, राजा बलि, वेदव्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, परशुराम और ऋषि मार्कण्डेय।

Q2. क्या अष्ट चिरंजीवी आज भी जीवित हैं?

उत्तर: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ये सभी आज भी जीवित हैं और पृथ्वी पर मौजूद हैं।

Q3. अश्वत्थामा के बारे में क्या मान्यता है?

उत्तर: माना जाता है कि अश्वत्थामा आज भी असीरगढ़ किले के शिव मंदिर में पूजा करने आते हैं।

Q4. परशुराम कब आएंगे?

उत्तर: मान्यता है कि परशुराम कल्कि अवतार को दिव्य अस्त्र देंगे और उस समय प्रकट होंगे।

Q5. क्या इन चिरंजीवियों का नाम लेने से लाभ होता है?

उत्तर: हां, धार्मिक मान्यता है कि इनका स्मरण करने से दीर्घायु और आरोग्यता प्राप्त होती है।

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