है। 19वीं सदी तक पृथ्वी का औसत ताप लगभग 1.62°F या (0.9°C) बढ़ गया । और पिछली सदी में समुद्री जलस्तर में लगभग 8 इंच की वृद्धि हुई ।
जलवायु परिवर्तन क्या है ? (What is Climate Change?):-
विशेष में लंबे समय तक ओसत मौसम जलवायु होता है ।
(2) किसी विशेष क्षेत्र
में औसत मौसम में परिवर्तन को जलवायु परिवर्तन कहते हैं ।
(3) वैज्ञानिकों के
अनुसार पृथ्वी का तापमान पिछले 100 वर्षों में 1°F तक बढ़ गया है । इसका असर मानव जाति पर हो सकता है ।
(4) पृथ्वी के ताप में
वृद्धि के कारण हिमनद पिघलने से महासागरों का जलस्तर बढ़ रहा है । जिससे प्राक्रतिक आपदाओ और कुछ दीपों के डूबने का खतरा बढ़ गया है ।
जलवायु परिवर्तन के कारण (Green House Effects):-
(A) ग्रीन हाउस गैसें:-
ग्रीन हाउस गैसों में मेथेन (CH₄ ), नाइट्रस ऑक्साइड (NO), CO2 आदि गैस पाई जाती है ।
(2) ग्रीन हाउस गैस की यह
परत पृथ्वी का ताप संतुलन करती है ।
(3) मानवीय गतिविधियों
बदलने से ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन बढ़ने से वैश्विक तापमान में वृद्धि हो रही
है ।
मुख्य ग्रीन हाउस गैसें :-
जलने से CO2 का अधिक उत्सर्जन हो रहा है । औद्योगिक क्रांति
के कारण वैश्विक स्तर पर CO2 की मात्रा 30% बढ़ी है ।
(2) CH₄ :- जैविक पदार्थों के अपघटन से मेथेन (CH₄), उत्पन्न होती है। मेथेन, CO2 से अधिक ग्रीनहाउस प्रभावी गैस होती है ।
(3) CFC :- यह रेफ्रिजरेटर और एयर कंडीशनर से प्राप्त
होती है । यह ओजोन परत को नष्ट करती है।
भूमि के उपयोग में परिवर्तन :-
होने के कारण CO2 की मात्रा बढ़ेगी ।
शहरीकरण :-
जलवायु परिवर्तन का प्रभाव (Global Warming):-
उच्चतापमान :-
ग्रीन हाउस गैस का तेजी से उत्सर्जन होने से गत 150 वर्षों से वैश्विक तापमान में
तेजी से वृद्धि हो रही है । सन 2016 सबसे गर्म वर्ष रिकॉर्ड किया गया । गर्मी के कारण बीमारियों, समुद्री स्तर में वृद्धि, तूफानों में वृद्धि हुई है। ग्रीन हाउस उत्सर्जन के कारण सदी के अंत तक 3०F से 10०F ताप बढ़ सकता है।
वर्षा के पैटर्न में बदलाव :-
जलवायु परिवर्तन है। कुछ स्थानों पर अधिक वर्षा, कुछ स्थानों पर
सूखा की समस्या उत्पन्न हुई है ।
समुद्र के जलस्तर में वृद्धि :-
समुद्री जल स्तर में वृद्धि हुई है । जिसके प्रभाव से समुद्रतटीय
क्षेत्र एवं दीपों के डूबने का खतरा बढ़ गया है ।
वन्यजीव प्रजाति का नुकसान :-
तापमान मे वृद्धि और वनस्पति पैटर्न में बदलाव
से कुछ पक्षियों की प्रजातियां गिद्ध, डोडो, गोरेया, विलुप्त हो रही है । शेर, हाथी, जंगली भैंसे, विशेषज्ञों के अनुसार एक चौथाई प्रजातियां 2050 तक विलुप्त
हो जाएगी। ध्रुवीय भालू समुद्र स्तर के कारण विलुप्त हो
सकते है।
रोगों का प्रसार और आर्थिक नुकसान :-
बीमारियां बढ़ेंगी, पिछले दशक से अब तक 1,50,000 से अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी है।
जंगलों में आग :-
के अमेजन वनों में 74,155 बार आग लगी।
जलवायु परिवर्तन और खाद सुरक्षा :-
जलवायु परिवर्तन से निपटने हेतु वैश्विक प्रयास :-
जलवायु परिवर्तन अध्ययन के लिए विश्व के 195 देश शामिल है।
संयुक्तराष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) और WHO ने 1988 में अंतर सरकारी पैनल (IPCC) का गठन किया ।
इसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन, प्रभाव, भविष्य में जोखिम का अध्ययन करना ।
IPCC सरकारी वैज्ञानिक सूचनाये प्रदान करता है।
जलवायु परिवर्तन से निपटने को अंतर्राष्ट्रीय वार्ताओं में भूमिका निभाना ।
संयुक्तराष्ट्र जलवायु
परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मिलित (UNFCCC) :-
अंतरराष्ट्रीय समझौते के अनुसार ग्रीन हाउस
गैसों का उत्सर्जन नियंत्रित करना ।
1997
क्योटो समझोता में विकसित
देशों में ग्रीन हाउस गैसों के लिए 40 ओद्योगिक देशों की अलग सूची में रखा गया ।
जून 1992 के पृथ्वी सम्मेलन में
ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन से को रोकने के लिए हस्ताक्षर हुए 21 मार्च 1994 से लागू ।
पेरिस समझौता :-
जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए
अंतरराष्ट्रीय समझौता है।
सन 2015 में 30 नवंबर – 11 दिसंबर तक 195 देशों की सरकारों ने इस पर चर्चा
की ।
इसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन, प्रभाव, भविष्य में जोखिम का अध्ययन करना ।
IPCC सरकारी वैज्ञानिक सूचनाये प्रदान करता है।
जलवायु परिवर्तन से निपटने को अंतर्राष्ट्रीय वार्ताओं में भूमिका निभाना ।
परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मिलित (UNFCCC) :-
गैसों का उत्सर्जन नियंत्रित करना ।
1997
क्योटो समझोता में विकसित
देशों में ग्रीन हाउस गैसों के लिए 40 ओद्योगिक देशों की अलग सूची में रखा गया ।
जून 1992 के पृथ्वी सम्मेलन में
ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन से को रोकने के लिए हस्ताक्षर हुए 21 मार्च 1994 से लागू ।
अंतरराष्ट्रीय समझौता है।
सन 2015 में 30 नवंबर – 11 दिसंबर तक 195 देशों की सरकारों ने इस पर चर्चा
की ।
जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय
कार्य योजना :-
एजेंसियों, वैज्ञानिकों, उद्योगों छात्रों को जलवायु परिवर्तन के खतरों से अवगत
कराना ।
कार्य योजना के 8 मिशन :-
1.
राष्ट्रीय सौर
मिशन
2.
विकसित ऊर्जा
दक्षता के लिए राष्ट्रीय मिशन
3.
राष्ट्रीय जल मिशन
4.
हिमालय पारिस्थितिकतंत्र मिशन
5.
हरित भारत राष्ट्रीय
मिशन
6.
कृषि राष्ट्रीय
मिशन
7.
रणनीतिक ज्ञान
मिशन
8.
सुस्थर निवास पर
राष्ट्रीय म
जलवायु परिवर्तन (Essay)
पृथ्वी का दूषित पर्यावरण आज विश्व की ज्वलन्त समस्या है। कोई भी व्यक्ति या देश
इसके दुष्प्रभाव से नहीं बचेगा इसके कारण विस्थापन, भुखमरी, प्राकृतिक सौंदर्य,
संस्कृति विनाश एवं राष्ट्रीय असुरक्षा की भावना उत्पन्न ये समस्याएं हर साल बढ़ती
हैं। ध्यान नहीं देने पर यह विकराल हो जाएगी।
क्या है भूमंडलीकरण उष्मीयकरण :-
पृथ्वी के निरंतर ताप
बढ़ने से भूमंडलीकरण उत्पन्न हुआ हैं। सूर्य से आने वाली उष्मीय
किरणें परावर्तित होकर लौट जाती हैं। पृथ्वी के वायुमंडल में
ग्रीन हाउस के कारण सूर्य का प्रकाश पूरी तरह परावर्तित नहीं होता हैं। जिससे वातावरण गर्म हो रहा है।
उष्मीयकरण का कारण :-
मानवीय क्रियाकलापों के कारण CO2, CH₄ , NO की वृद्धि हो
रही है। जिससे पृथ्वी के तापमान में वृद्धि हो रही है। जीवाश्म ईधन, के जलने से, वाहनों, हवाई जहाज, पावर हाउस, उद्योगों की संख्या
में निरंतर वृद्धि होने से, वृक्षों की कटाई, के कारण A.C, रेफ्रिजरेटर,
अग्निशमन यंत्रों से C.F.C. उत्पन्न होने से
ओजोन की पर्त नष्ट हो रही है। ताप वृद्धि और ग्रीन
हाउस कैसे करण ध्रुव की बर्फ पिघल रही है।
उष्मीयकरण के प्रभाव :-
विश्व जलवायु
परिवर्तन की निगरानी करने वाली संस्था IPCC की मैराथन बैठक
मार्च 2014 में हुई। दुनिया के वैज्ञानिकों व अधिकारियों ने जलवायु
परिवर्तन पर 2610 पृष्ठ का सबसे बड़ा दस्तावेज तैयार हुआ। दुनिया के ताप वृद्धि से
लोगों के स्वास्थ्य, रहन-सहन, आहार तथा सुरक्षा को खतरा उत्पन्न हुआ है।
मनुष्य के स्वास्थ्य पर प्रभाव :-
पशु – पक्षियों व वनस्पतियों पर प्रभाव :-
मछलियों, वनस्पतियों और वन्य जीव, धुवो और पहाड़ों की और पलायन करेंगे। समुद्र में अम्लीयता बढ़ने से मुंगे की चटानो, जीवो की प्रजातियों को खतरा है।
समुद्री जल स्तर में वृद्धि :-
जल स्तर बढ़ेगा। जिससे समुद्री तटीय भाग में जल में समा जाएगा। लोग बेघर बेरोजगार होंगे, मत्स्य उद्योग पर विश्व के 40 करोड़ लोग निर्भर है। मजदूरों के लिए खतरा है ।
ग्रीन हाउस गैसों
की उत्पत्ति कम करने के उपाय :-
में प्राकृतिक गैस का उपयोग होने से कोयले की राख कम होगी।
2. ऊर्जा के गैरपरंपरागत स्त्रोतों जैसे पवन ऊर्जा,
हाइड्रोलिक ऊर्जा, सौर ऊर्जा, का उपयोग किया जाए।
3. वस्तुओं को रिसाइकल करके, रीसाइकिल में ऊर्जा
कब खर्च होती है।
4. C.F.C, Na2O, O3, CO, CH₄ गैसों का
उत्सर्जन कम हो।
5. वनों के संरक्षण के लिए वृक्षारोपण कार्यक्रम
चलाए जाएं । जिससे पर्यावरण शुद्ध होगा।
6. पर्यावरण संरक्षण के लिए जैव विविधता का
संरक्षण किया जाए।
7. पर्यावरण संरक्षण के लिए पारिस्थितिक कृषि को
बढ़ावा दिया जाए।
8. सार्वजनिक वाहनों का प्रयोग करें, पुराने
वाहनों का प्रयोग ना करें।
9. C.F.L. या L.E.D बल्ब प्रयोग
करें ।
10. अधिक स्टार वाले
उपकरण प्रयोग करें।
11. पंखे, T.V. विधुत उपकरण, आवश्यकता
न होने पर बंद रखें।
12. खाना पकाने के
लिए का सोलर कुकिंग का प्रयोग करें ।
इंदौर की I.A.S. अधिकारी ने
कार्बन क्रेडिट से ₹50 लाख रुपये कमाने वाला देश का पहला शहर इंदौर
बना हैं। अर्जित कार्बन बेचने के बाद ₹50 लाख रूपये राजस्व में हासिल किया ।
इंदौर 4
वर्षों से भारत का स्वच्छ शहर है :-
Bio Methanation Plant -1,
Compost Plant -1,
1.5MW सोलर-1,
के कारण शहर में CO2 उत्सर्जन को 1.7 लाख तक कम करने में मदद मिली ।